नमक का दारोगा कहानी के दो अन्य शीर्षक हो सकते हैं
1. सत्यमेव जयते
2. ईमानदारी का फल।
1. 'नमक का दारोगा' प्रेमचन्द की आदर्शवादी कहानी है जिसमें यह बताया गया है कि जो ईमानदारी, नैतिकता, धर्म एवं सत्य पर दृढ़े रहते हैं अन्तिम विजय उन्हीं की होती है। मुंशी वंशीधर ने अलोपीदीन की रिश्वत ठुकरा दी और अपनी ईमानदारी का परिचय दे दिया। भले ही उन्हें विभाग से निलम्बित कर दिया गया हो पर अलोपीदीन उनकी ईमानदारी से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपनी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियुक्त कर दिया। इसीलिए इस कहानी का शीर्षक हो सकता है - सत्यमेव जयते।
2. शीर्षक कहानी की जान होता है, क्योकि शीर्षक देखकर ही लोग कहानी की विषय - वस्तु का अनुमान कर उसे पढ़ना प्रारंभ करते हैं। वंशीधर की ईमानदारी ही इस कहानी की मुख्य घटना है और उस ईमानदारी का फल उन्हें ऊँचे वेतन वाली नौकरी के रूप में अलोपीदीन ने प्रदान किया। इसलिए कहानी का उपयुक्त शीर्षक 'ईमानदारी का फल' भी हो सकता है।