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निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए -
नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे. और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते - घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें ज्या समझाऊँ।
(क) यह किसकी उक्ति है ?
(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है?
(ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?

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(क) यह उक्ति मुंशी वंशीधर के पिता (वृद्ध मुंशी) की है।

(ख) जैसे पूर्णिमा को चाँद पूरा होता है फिर उसका घटना प्रारंभ हो जाता है और अमावस्या आते - आते वह पूरी तरह लुप्त हो जाता है। इसी प्रकार मासिक वेतन एक बार पूरा मिलता है और उसमें से प्रतिदिन खर्च होता रहता है जिससे वह घटता जाता है। और एक दिन पूरा खर्च हो जाता है। इसलिए मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद कहा गया है। .

(ग) नहीं, इस कथन से मैं सहमत नहीं हूँ। एक पिता यदि अपने पुत्र को रिश्वत लेने के लिए कहे तो यह किसी प्रकार भी उचित नहीं है। पिता का कर्त्तव्य है कि वह अपने पुत्र को अच्छे संस्कार दे न कि रिश्वत लेने के लिए प्रेरित करे।

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