एक बार मैं घर से बाहर निकल रहा था। बिजली अचानक चली गई और रात का अँधेरा था। दरवाजे के बाहर तीन फीट की रस्सी का टुकड़ा टेढ़ा - मेढ़ा पड़ा था। मुझे भ्रम हुआ कि शायद साँप है। तभी ऐसा लगा जैसे यह टुकड़ा हिल रहा है। शायद हवा चलने से उसमें कुछ हरकत हुई। मुझे लगने लगा कि निश्चय ही यह सर्प है और मैं सहायता के लिए पुकारता हुआ घर के भीतर जा पहुँचा। घर से दो - तीन लोग लाठी लेकर आए और जब लाठी से उस टुकड़े को टटोला गया तब पता चला कि यह तो रस्सी है, साँप नहीं।