कहानी में मासिक वेतन को 'पूर्णमासी का चाँद' और 'ईश्वर की देन' कहा गया है। इसके लिए दो और विशेषण हो सकते हैं
1. मुट्ठी की रेत। 2. रिसता बरतन।
मासिक वेतन एक दिन ही पूरा रह पाता है, दूसरे दिन से खर्च होना प्रारम्भ होता है और एक दिन पूरा खर्च हो जाता है। इसीलिए यह मुट्ठी में भरा रेत है जो धीरे - धीरे गिरकर एक दिन पूरी मुट्ठी को खाली कर देता है। इसी प्रकार यदि बाल्टी की पेंदी में छेद हो तो उसमें भरा पानी एक - एक बूंद रिसकर बाल्टी को खाली कर देता है। यही हाल वेतन का होता है।