पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्त्व के दो प्रमुख गुण हैं - 1. धन की शक्ति से परिचित होना, 2. गुण गाहका
1. धन की शक्ति से परिचय - पंडित अलोपीदीन धन की ताकत से परिचित थे और जानते थे कि पैसे से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता था। धन की जिस शक्ति को पंडित जी सबसे बड़ी ताकत मान रहे थे उसे धर्म (सत्य) ने पैरों तले कुचल दिया। किन्तु कचहरी में सारे वकील, मुख्तार, अलोपीदीन ने पैसे के बल पर अपने पक्ष में कर लिए, परिणामत: अलोपीदीन बाइज्जत बरी हो गए और मुंशी वंशीधर नमक के दारोगा पद से निलम्बित कर दिए गये
2. गुण ग्राहक - अभी तक अलोपीदीन को ऐसा कोई व्यक्ति न मिला था जो वंशीधर की तरह ईमानदार और कर्त्तव्यपरायण हो। अपने धन के बल पर वे चाहे जिसको खरीद सकते थे और मन मुताबिक झुका लेते थे. पर वंशीधर को वे नहीं झुका सके। उनको अपनी विशाल सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए ऐसे ही दृढ़ - 'त्र वाले व्यक्ति की आवश्यकता थी!
एक सप्ताह बाद ही वे वंशीधर के घर आए और वशीधर को अपनी जमींदारी का स्थायी मैनेजर नियुक्त करने का स्टाम्प लगा पत्र देते हुए कहा कि कृपया आप इस पद को स्वीकार कीजिए। छह हजार वार्षिक वेतन के साथ अनेक सुविधाएँ, नौकर - चाकर, सवारी, बँगला मुफ्त। यह उस समय बड़ा वेतन था। अलोपीदीन ने कहा - मुझे विद्वान् और अनुभव या कार्यकुशलता की दरकार नहीं, मुझे तो आप जैसा ईमानदार, दृढ़ - प्रतिज्ञ, कर्तव्यपरायण एवं धर्मनीति पर स्थिर रहने वाला व्यक्ति ही अपनी जायदाद के मैनेजर के रूप में चाहिए।