गोपियों के मन में श्री कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम था। जिस प्रकार हारिल पक्षी सदा ही अपने पंजों में लकड़ी को पकड़े रहता है और उसे जीवन का आधार समझता है उसी प्रकार गोपिया श्री कृष्ण के प्रेम को आधार समझती हैं और सदा उसे अपने मन में बसाए रहती है। इसलिए वे दिन-रात सोते-जागते तथा स्वपन में भी कान्हा-कान्हा जपती रहती हैं। इस प्रकार गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को व्यक्त किया है।