कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था वह उसे प्राप्त नहीं कर पाया। वह स्वप्न अधूरा रह गया किंतु उस स्वप्न की स्मृति उसके मन की गहराइयों में बसी है। कवि के लिए वे सुख भुलाए नहीं भूलते। उसने जब उस स्वप्न्न को पाने के लिए अपनी बाहें फैलाई तो उसकी आँख खुल गई और स्वप्न अपना न हो सका। इस प्रकार कविता में सुख के स्वपन को मधुर स्मृतियों के रूप में प्रस्तुत किया है।