कविता में छाया शब्द अतीत की यादों के लिए प्रयोग हुआ है जो अब वास्तविकता से दूर हो गई हैं। इसलिए अतीत अर्थात स्मृतियों रूपी छायाएँ अनुभव करने में भले ही मधुर प्रतीत होती हो किंतु वर्तमान वास्तविकता नहीं हो सकती। पुरानी यादों व छाया से चिपके रहने वाले मनुष्य अपने वर्तमान को सुधार नहीं सकते और ना ही भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। मानव जीवन सुख दुख का अनोखा क्रम है इसलिए कवि ने छाया को छूने से मना किया है।