गोपिया श्री कृष्ण से सच्चे मन से प्रेम करती हैं और उनकी विरह की आग में व्याकुल है। ऐसे में उन्हें स्वयं आकर गोपियों से मिलकर उनकी विरह की व्याकुलता को शांत करना चाहिए था, किंतु गोपियों के अनुसार श्रीकृष्ण बदल गए हैं। अब वे प्रजा के हित की नहीं, अपितु केवल अपने स्वार्थ की बातें ही सोचते हैं इसलिए वे अपना मन वापस पा लेना चाहती है।