गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य से उद्धव को परास्त कर दिया था। गोपियों ने सर्वप्रथम उन्हें भाग्यशाली कहा और कमल का पत्ता तथा तेल की मटकी से तुलना करते हुए गोपियों ने उसे भी प्रेम रुपी जल से अछूता कहा। वे स्वयं को हारिल पक्षी व श्री कृष्ण को हारिल पक्षी द्वारा पकड़ी हुई लकड़ी बताती है। इस प्रकार वे अपने वाक्चातुर्य से उद्धव को परास्त करने में सफल होती हैं।