लड़कियों की तुलना घास - फूस से करके लेखक ने उनके प्रति अच्छा भाव नहीं दिखाया है। समाज में लड़कियों की स्थिति घास - फूस की तरह बताई है जो अनचाहे ही उग आती है और जल्दी ही बढ़ने लगती है। घास - फूस की कोई देखभाल नहीं की जाती। इसी प्रकार समाज में लड़कियों के खान - पान की कोई व्यवस्था नहीं करता। फिर भी वे बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हैं और उनके विवाह की चिंता घरवालों को सताने लगती है। यही इस वाक्य के द्वारा व्यक्त किया गया है