इस कविता में दुख का कारण अतीत की सुखद यादों को बताया गया है। मनुष्य के जीवन में जब थोड़ा सा भी दुख आता है तो वह वर्तमान जीवन की तुलना अतीत से करने लगता है। अतीत की मधुर स्मृतियाँ उसके मानस पटल पर अंकित हो जाती हैं। इससे उसके कार्य करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। ऐसा करके वह अपने दुख पर विजय नहीं पाता बल्कि उसका साहस भी मंद पड़ जाता है और दुख बढ़ जाता है जो उसके आगे बढ़ने के रास्ते में बाधा भी डालता है।