अतीत में खोए रहने के कारण दुखी रहना मानव प्रकृति है जो कि उचित नहीं है। उससे हम अपने वर्तमान व भविष्य को भी नहीं सँवार पाते। मानव के दुखी रहने के अन्य कारण भी हैं, जैसे-
(i) कठिन परिश्रम करने पर भी फल की प्राप्ति न होने पर मानव दुखी हो जाता है।
(ii) समय बीत जाने पर वस्तुओं की प्राप्ति भी मानव को दुखी कर देती है।
(iii) जब संकट के समय मित्र और रिश्तेदार साथ न निभाएँ।
(iv) प्रियजन के बिछड़ जाने पर भी मानव दुखी हो जाता है।