निश्चय ही बादल अपने जल से पृथ्वी के प्राणियों की प्यास बुझाता है और उन्हें प्रसन्न करता है। लेकिन कवि बादल को गरजने के लिए इसलिए कहता है ताकि सोई हुई आत्माएँ जाग जाएँ और उनके मन में क्रांति का संचार हो। क्रांति और परिवर्तन से ही नए युग का निर्माण हो सकता है इसलिए कवि बादल को बरसने की अपेक्षा गरजने के लिए कहता है।