कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन निम्नलिखित उपमानों के प्रयोग से किया है :i)फटिक सिलानि, ii) दही का सागर iii) दूध की झाग से बना कालीन iv) सुधा मंदिर v) दर्पणचाँदनी रात न केवल कवियों अपितु हर व्यक्तियों के मन को आकर्षित करती है। कवि ने बताया है कि सागर की लहरें हिलौरें ले रही हैं। चाँदनी की अधिकता के कारण अंदर तक का दिखाई नहीं दे रहा। सारा भवन चाँदनी से नहाया हुआ-सा लग रहा है। राधा भी चाँदनी में झिलमिलाती लग रही है।