'आत्मकथ्य' एक छायावादी कविता है जिसमें कवि ने संस्कृतनिष्ठ भाषा का प्रयोग किया है। कवि ने इस कविता की भाषा में प्रकृति के भिन्न-भिन्न उपमानों का प्रयोग किया है। मधुप पत्तियाँ, नीलिमा, चाँदनी रात आदि उपमानों का प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त गागर रीति आदि प्रतीकों का प्रयोग किया है।