कवि देव ने जीवन के सुख-दुख का वर्णन करने की अपेक्षा प्रकृति की सुंदरता का चित्रण किया है। उन्होंने श्री कृष्ण का दूल्हा रूप, वसंत को बच्चे के रूप में तथा रात में आकाश को सुधा मंदिर के रूप में चित्रित किया है। देव ने काव्य में ब्रजभाषा का सुंदर एवं सटीक प्रयोग किया है। अनुप्रास, रूपक, उत्प्रेक्षा, उपमा आदि अलंकारों का सुंदर एवं सफल प्रयोग देखते ही बनता है।