इन कविताओं के आधार पर निराला जी ने अपनी भाषा में मधुर शब्दावली की योजना, संगीतात्मकता, लाक्षणिकता तथा प्रकृति का मानवीकरण दिखाया है। बादल निराला जी को बहुत प्रिय रहा है। इसलिए नहीं कि वह सुंदर है, बल्कि इसलिए भी कि वह शक्ति का प्रतीक है। 'अट नहीं रही है' शीर्षक कविता में निराला जी ने देशज शब्दों का प्रयोग किया है। जिससे भाषा की प्रवाहमयता देखते ही बनती है।