छाया मत छूना’ कविता में कवि अतीत को इसलिए भुलाना चाहता है क्योंकि अतीत की सुखद स्मृतियों को यादकर वह अपने वर्तमान को दुखी एवं बोझिल नहीं बनाना चाहता। अतीत का सुख वर्तमान में दुख एवं पीड़ा ही देगा। उसके सहारे वर्तमान में जिया नहीं जा सकता। अतीत के सुखद पल उस छाया के समान हैं, जिनको छूने से दुःख और प्रबल होगा। वर्तमान में जीने के लिए यथार्थ को स्वीकार करना अत्यंत अनिवार्य है। वर्तमान में निराशा, असफलता एवं कष्ट से बचने के लिए यह अनिवार्य है कि अतीत को भुलाकर जीवन वर्तमान के ठोस धरातल पर जिया जाए।