परंपरागत रूप में बसंत का वर्णन करते हुए कवि प्रायः ऋतु परिवर्तन की शोभा का वर्णन करते हैं। कवि रंग बिरंगे फूल, चारों ओर फैली हरियाली, नायक नायिकाओं का झूलना आदि का उल्लेख करते हैं, परंतु इस कविता में कविवर ने वसंत को एक बालक के रूप में दिखाया है जो कामदेव का पुत्र है। कवि ने दिखाया है कि सारी प्रकृति उसके साथ ऐसा व्यवहार करती है, जैसे नवजात बच्चे से किया जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि कवि देव के द्वारा किया गया बसंत का वर्णन परंपरागत नहीं है।