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'नमक का दारोगा' किस प्रकार की कहानी है? और क्यों?

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'नमक का दारोगा' प्रेमचन्द की आदर्शवादी कहानी है। जिसमें यह दिखाया गया है कि 'सत्यमेव जयते'। भले ही वंशीधर धन - बल के सम्मुख अदालत में परास्त हो गए हों, नौकरी से उनको मुअत्तिल कर दिया गया हो पर अलोपीदीन ने उनकी ईमानदारी एवं कर्त्तव्यपरायणता को पहचानकर उन्हें अपनी जमींदारी का स्थायी प्रबन्धक नियुक्त कर दिया और वह भी ऊँचे वेतन पर। इस प्रकार वंशीधर को अपनी ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठता का पुरस्कार तो मिल ही गया।

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