अलोपीदीन को हथकड़ी लगाकर अदालत में ले जाया गया। अलोपीदीन धनवान व्यक्ति थे। अदालत में सब उन्हीं के पक्षधर थे। अमले (कर्मचारी), वकील, मजिस्ट्रेट सबको उन्होंने धन से सन्तुष्ट कर रखा था। मुकद्दमा लड़ने के लिए वकीलों की पूरी फौज तैयार की गई थी। यह सब अलोपीदीन के धन का प्रताप था। दूसरी ओर मुंशी वंशीधर के पास केवल सत्य और धर्म का बल था। इस प्रकार अदालत में धन और धर्म के पक्षों में युद्ध हो रहा था।