अलोपीदीन को अपने धन की शक्ति पर बड़ा विश्वास था और वे सोचते थे कि धन (रिश्वत) से किसी को भी खरीदा जा सकता है, किन्तु जब मुंशी वंशीधर ने उनकी भारी रिश्वत की पेशकश ठुकरा दी और अपने जमादार को हुक्म दिया कि - कानूनी नमक का व्यवसाय करने पर हिरासत में ले लो, तब ऐसा लगा जैसे धन की ताकत क्षीण हो गई, वह परास्त ही गया और धर्म जीत गया। इसीलिए कहानीकार ने लिखा है कि धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला।