रात के समय जब नमक के दारोगा पद पर नवनियुक्त मुंशी वंशीधर की आँखें खुली तो उन्हें बैलगाड़ियों की गड़गड़ाहट और मल्लाहों का शोर सुनाई पड़ा। वे समझ गए कि अवश्य ही कुछ गड़बड़ है। रात के समय इतना शोर क्यों है ? जरूर कोई गोलमाल है, इस तर्क ने उनका भ्रम पुष्ट कर दिया है, अत: वरदी पहनकर और रिवाल्वर लेकर वे घोड़े पर चढ़कर मामले की तहकीकात करने पुल पर जा पहुँचे।