0 votes
59 views
in Discuss by
edited
दारोगा वंशीधर गैर - कानूनी कार्यों की वजह से पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार करता है लेकिन कहानी के अन्त में इसी पंडित अलोपीदीन की सहृदयता पर मुग्ध होकर उसके यहाँ मैनेजर की नौकरी को तैयार हो जाता है। आपके विचार से क्या वंशीधर का ऐसा करना उचित था ? आप उसकी जगह होते तो क्या करते?

1 Answer

0 votes
by
selected
 
Best answer
दारोगा वंशीधर ने गैरकानूनी काम करने पर पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार किया था और ऐसा करके अपने कर्तव्य का पालन ही किया था। किन्तु अलोपीदीन से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। अतः जब अलोपीदीन वंशीधर के घर नौकरी का अच्छा - खासा प्रस्ताव लेकर आए तो वंशीधर ने उसे स्वीकार करके कोई गलत काम नहीं किया। आज के समाज में स्वीकृत चरित्र के मानदण्डों के हिसाब से तो मुझे इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन अनुचित और गैर - कानूनी ... कार्यों से कमाई गई सम्पत्ति का संरक्षक बनने को मेरी अन्तरात्मा शायद स्वीकार नहीं कर पाती।

Related questions

Doubtly is an online community for engineering students, offering:

  • Free viva questions PDFs
  • Previous year question papers (PYQs)
  • Academic doubt solutions
  • Expert-guided solutions

Get the pro version for free by logging in!

5.7k questions

5.1k answers

108 comments

561 users

...