संगतकार के माध्यम से कवि ऐसे लोगों की ओर संकेत करना चाहता है जिनका किसी काम के करने में योगदान तो पूरा होता है किंतु उनका नाम कोई नहीं जानता। सारा श्रेय मुखिया को ही जाता है। समाज में हर व्यक्ति का अपना अपना महत्त्व है। जैसे कोई टीम केवल कैप्टन के प्रयास से नहीं जीतती, अपितु हर खिलाड़ी के प्रयास से जीतती है। अतः जीत का श्रेय हर खिलाड़ी को जाता है।