इस कथन के माध्यम से स्पष्ट किया है कि प्रेम की मर्यादा यह है कि प्रेमी और प्रेमिका दोनों प्रेम के नियमों का पालन करें। किंतु श्री कृष्ण ने गोपियों के प्रेम के बदले योग संदेश भेज दिया जो उनकी चाल थी। श्रीकृष्ण की इस छलपूर्वक चाल को ही मर्यादा का उल्लंघन कहा है। जो मनुष्य राजनीति से जुड़ जाता है उसके मन से प्रेम जैसी कोमल भावना लुप्त हो जाती है। इसके अलावा वह प्रेम की मर्यादा को भूल जाता है।