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'छाया' से क्या तात्पर्य है? कवि उसे छूने से मना क्यों करता है?

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कविता 'छाया मत छूना' में 'छाया' से तात्पर्य अतीत के उन सुखों से है जो कवि को कभी प्राप्त नहीं हुए। अप्राप्य के पीछे भागना और उसकी याद में खोए रहना व्यर्थ है। कवि उसे छूने से इसलिए भी मना करता है क्योंकि उनके बारे में सोचते रहने और दुखी रहने से वर्तमान में कुछ प्राप्त नहीं होगा, बल्कि मन और दुखी होगा। अतः अतीत को भूलकर वर्तमान में यथार्थ का सामना करके हम अपने जीवन में कर्मठता के द्वारा सुख पा सकते हैं। ‘छाया” छूने से केवल मन भ्रमित होगा।

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