मृगतृष्णा शब्द का अर्थ है कि जिस प्रकार एक मृग रेगिस्तान में रेत पर तेज़ धूप पड़ने पर वहाँ पानी होने के भ्रम में उसके पीछे भागता है, पर वहाँ जाकर भी वह तृषित रहता है। उसके पीछे भागना व्यर्थ होता है, ठीक उसी प्रकार मानव को भी ऐसी मृगतृष्णा व कल्पनाओं के पीछे नहीं भागना चाहिए। जहाँ से उसे किसी सुख की प्राप्ति न हो। अतीत की सुखद या दुखद स्मृतियों के पीछे भागना ऐसी ही मृगतृष्णा है, जिससे मानव का न तो वर्तमान सुखी होता है और न ही भविष्य सुखी होता है। व्यक्ति को यथार्थ का सामना कर संघर्ष से सफलता व सुख की प्राप्ति करनी चाहिए।