यथार्थ का पूजन करके अर्थात यथार्थ को स्वीकार करके ही मनुष्य जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है। मनुष्य को वास्तविकता का सामना करना पड़ता है। मनुष्य अपनी परिस्थितियों में जीता है और उसी के अनुसार जीवन को ढालता है। भूली बिसरी यादों के सहारे जीवन में आगे नहीं बढ़ा जा सकता। इसलिए कवि ने कठिन यथार्थ की पूजा करने को कहा है।