“क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर पंक्ति का भाव यह है कि जिस प्रकार बसंत ऋतु में फूल न खिले तो वह सुखदायी प्रतीत नहीं होती, वैसे ही मनुष्य अपने अतीत में जो चाहे और वह उसे न मिले तो उदासी उसके जीवन को घेर लेती है। अतीत की मधुरिम यादों से मिली यह उदासी वर्तमान व भविष्य का सुख भी छीन लेती है। इसलिए जीवन में सच्चे सुख के लिए अतीत की यादों को बिसराना ही उचित होता है।