बच्चे की दंतुरित मुस्कान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसके निराश और उदास मन में पुनः स्फूर्ति आ जाती है। कवि को ऐसा लगता है, मानो उसकी झोपड़ी में कमल के फूल खिल गए हो। अथवा बबूल और बांस के वृक्षों से मानो शेफालिका के फूल झड़ने लग गए हो। कहने का भाव है कि बच्चे की दंतुरित मुस्कान से कवि अत्यधिक प्रभावित हुआ है।