माँ को अपनी बेटी सच्ची सहेली की भाँति लगती है क्योंकि वह उसके हर सुख दुख की साथी होती है। माँ बेटी के साथ हर प्रकार की बात कर लेती है। बेटी माँ की हर काम में हाथ बताती है। इसलिए बेटी माँ की एकमात्र पूंजी है जो विवाह के पश्चात अपने ससुराल चली जाएगी और उसके बाद वह अकेली पड़ जाएगी।