गोपियों के मन में श्री कृष्ण के प्रति एक निस्वार्थ प्रेम की भावना थी। वह अपना सब कुछ श्री कृष्ण के प्रेम में त्याग चुकी थी। उनकी प्रेम निष्ठा के सामने निर्गुण ईश्वर का उपासक उद्धव भी परास्त हो गया। गोपियों के द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहकर वास्तव में उसके दुर्भाग्य पर व्यंग्य किया है। जो व्यक्ति प्रेम के सागर श्री कृष्ण के समीप रहकर भी प्रेम रूपी जल को प्राप्त नहीं कर सकता, वह दुर्भाग्यशाली ही होगा। गोपियों के कहने का अभिप्राय यह है कि उद्धव के हृदय में प्रेम का संचार हुआ ही नहीं है इसीलिए वह भाग्यवान नहीं अपितु भाग्यहीन है।