परशुराम- शिवजी का धनुष तोड़ने का दुस्साहस किसने किया है?राम- हे नाथ! इस शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला अवश्य ही आपका कोई दास ही होगा।परशुराम- सेवक वह होता है जो सेवा का कार्य करे| किन्तु जो सेवक शत्रु के समान व्यवहार करे उससे तो लड़ना पड़ेगा| जिसने भी धनुष तोड़ा है वह मेरे लिए दुश्मन है और तुरंत सभा से बाहट चला जाए अन्यथा यहाँ उपस्थित सभी राजा मारे जायेंगें